शर्तों के साथ पुरी में जगन्नाथ रथ यात्रा को SC से मिली हरी झंडी

इस मामले में चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (सीजेआई) एसए बोवडे ने तीन जजों की बेंच गठित की. इस बेंच में सीजेआई एसए बोवडे, जस्टिस एएस बोपन्ना और जस्टिस दिनेश माहेश्वरी शामिल रहे.

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भगवान जगन्नाथ की प्रतिमा को अंतिम रुप देती एक कलाकार (फोटो-पीटीआई) भगवान जगन्नाथ की प्रतिमा को अंतिम रुप देती एक कलाकार (फोटो-पीटीआई)

संजय शर्मा

  • नई दिल्ली/भुवनेश्वर ,
  • 22 जून 2020,
  • अपडेटेड 5:12 PM IST

  • जगन्नाथ रथ यात्रा पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई
  • चीफ जस्टिस ने तीन जजों की बेंच गठित की

कोरोना वायरस संक्रमण की वजह से पुरी रथ यात्रा पर रोक के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में कई याचिकाएं डाली गई. इस मामले में चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (सीजेआई) एसए बोवडे ने तीन जजों की बेंच गठित की. इस बेंच में सीजेआई एसए बोवडे, जस्टिस एएस बोपन्ना और जस्टिस दिनेश माहेश्वरी शामिल रहे.

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पुरी में जगन्नाथ रथ यात्रा को सुप्रीम कोर्ट की हरी झंडी मिल गई है. कोरोना के मद्देनजर सुप्रीम कोर्ट ने शर्तों के साथ रथयात्रा की इजाजत दी है. कोर्ट ने कहा कि प्लेग महामारी के दौरान भी रथ यात्रा सीमित नियमों और श्रद्धालुओं के बीच हुई थी.

बहस की शुरुआत करते हुए सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कोर्ट से कहा कि यात्रा की अनुमति दी जानी चाहिए. किसी भी मुद्दे से समझौता नहीं किया गया है और लोगों की सुरक्षा का भी ध्यान रखा गया है. इस पर CJI ने कहा कि UOI को रथयात्रा का संचालन क्यों करना चाहिए.

मेहता ने कहा कि शंकराचार्य, पुरी के गजपति और जगन्नाथ मंदिर समिति से सलाह कर यात्रा की इजाजत दी जा सकती है. केंद्र सरकार भी यही चाहती है कि कम से कम आवश्यक लोगों के जरिए यात्रा की रस्म निभाई जा सकती है.

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इस पर CJI ने कहा कि शंकराचार्य को क्यों शामिल किया जा रहा है? पहले से ट्रस्ट और मंदिर कमेटी ही आयोजित करती है तो शंकराचार्य को सरकार क्यों शामिल कर रही है? वहीं, मेहता बोले- नहीं, हम तो मशविरा की बात कर रहे हैं. वो धार्मिक सर्वोच्च गुरु हैं.

इसी बेंच ने पहले आदेश जारी किया था. सीजेआई एसए बोबडे इस समय अपने गृह जिले नागपुर में हैं. वहां उनके घर पर वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए सुनवाई की सुविधा उपलब्ध कराई जा रही है. उसके बाद सुनवाई होगी.

मेहता ने कहा कि शंकराचार्य, पुरी के गजपति और जगन्नाथ मंदिर समिति से सलाह कर यात्रा की इजाजत दी जा सकती है. केंद्र सरकार भी यही चाहती है कि कम से कम आवश्यक लोगों के जरिए यात्रा की रस्म निभाई जा सकती है.

इस पर CJI ने कहा कि शंकराचार्य को क्यों शामिल किया जा रहा है? पहले से ट्रस्ट और मंदिर कमेटी ही आयोजित करती है तो शंकराचार्य को सरकार क्यों शामिल कर रही है? वहीं, मेहता बोले- नहीं, हम तो मशविरा की बात कर रहे हैं. वो धार्मिक सर्वोच्च गुरु हैं.

वहीं, वरिष्ठ वकील हरीश साल्वे ने कहा कि कर्फ्यू लगा दिया जाय. रथ को सेवायत या पुलिसकर्मी खींचें, जो कोविड निगेटिव हों. रणजीत कुमार याचिकाकर्ता की ओर से कहा गया कि ढाई हजार पंडे मंदिर व्यवस्था से जुड़े हैं. सबको शामिल करने से और दिक्कत अव्यवस्था बढ़ेगी.

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इस पर सीजे सीजेआई ने कहा कि हमें पता है. ये सब माइक्रो मैनेजमेंट राज्य सरकार की जिम्मेदारी है. केंद्र की गाइडलाइन के प्रावधानों का पालन करते हुए जनस्वास्थ्य के हित मुताबिक व्यवस्था हो.

वहीं, तुषार मेहता ने कहा कि गाइडलाइन के मुताबिक व्यवस्था होगी. फिर सीजेआई ने कहा कि आप कौन सी गाइडलाइन की बात कर रहे हैं? मेहता ने कहा कि जनता की सेहत को लेकर गाइडलाइन का पालन होगा.

रथयात्रा के पक्ष में केंद्र-ओडिशा सरकार

इससे पहले जस्टिस अरुण मिश्रा की बेंच के सामने केस को मेंशन किया गया. सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि केवल वे लोग जिनका कोविड टेस्ट नेगेटिव आया है और भगवान जगन्नाथ मंदिर में सेवायत के रूप में काम कर रहे हैं, वो अनुष्ठान का हिस्सा हो सकते हैं.

सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि सदियों से चली आ रही एक रस्म को बाधित नहीं किया जाना चाहिए. वहीं, ओडिशा सरकार ने कहा कि जन भागीदारी के बिना रथ यात्रा आयोजित की जा सकती है. केंद्र ने कहा कि हालात को देखते हुए कदम उठाए जा सकते हैं. राज्य सरकार यात्रा के दौरान कर्फ्यू लगा सकती है ताकि लोग सड़कों पर ना उतर पाएं.

सॉलीसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि यह करोड़ों के आस्था की बात है. अगर भगवान जगन्नाथ कल नहीं आएंगे, तो वे परंपराओं के अनुसार 12 साल तक नहीं आ सकते हैं. श्री जगदगुरू आदिशंकराचार्य द्वारा तय किए गए अनुष्ठानों में वो सभी सेवायत भाग ले सकते हैं, जिनका कोरोना टेस्ट निगेटिव है. लोग टीवी पर लाइव टेलीकास्ट देख सकते हैं.

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सुनवाई के दौरान याचिककर्ता के वकील हरीश साल्वे ने कहा कि अगर सरकार पूरे एहतियात के साथ रथयात्रा आयोजित करे तो उनको कोई आपत्ति नहीं. इस पर कोर्ट ने आदेश जारी करने के लिए समय लिया. इसके बाद सीजेआई एसए बोवडे ने तीन सदस्यीय बेंच का गठन किया है, जो मामले की सुनवाई करेगी.

सुप्रीम कोर्ट ने रथ यात्रा पर लगाई है रोक

18 मार्च को सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश एस ए बोबड़े ने इस मामले में सुनवाई करते हुए कहा था कि अगर इस हालत में रथ यात्रा की इजाजत दी जाती है तो भगवान भी माफ नहीं करेंगे.

ओडिशा में रथ यात्रा का इतिहास सदियों पुराना है. इतिहासकार असित मोहंती के मुताबिक ऐतिहासिक साक्ष्य के अनुसार रथ यात्रा की शुरूआत 13 वीं शताब्दी से शुरू हुई थी. पिछले 284 वर्षों में रथ यात्रा को कभी भी रद्द नहीं किया गया है.

पढ़ें- कोरोना वायरस के चलते SC ने पुरी में जगन्नाथ रथयात्रा पर लगाई रोक

इस बीच ओडिशा सरकार ने जनभावनाओं को ध्यान में रखते हुए कहा है कि वो इस मामले में लोगों की भावनाओं के अनुरुप कार्रवाई करेगी.

गुरुवार को इस रथ यात्रा पर रोक लगाए जाने के बाद राज्य सरकार पर कई संगठनों का दबाव है कि रथ यात्रा शुरू करने के लिए सुप्रीम कोर्ट में उचित कानूनी कार्रवाई की जाए.

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रथ यात्रा शुरू होने में कुछ घंटे का समय

बता दें कि रथ यात्रा के शुरू होने में अब कुछ ही घंटे का समय बचा है. मुहुर्त के मुताबिक 23 जून यानी कि मंगलवार से रथ यात्रा की शुरुआत होनी है.

अदालत में उचित कदम उठाएंगे- ओडिशा सरकार

इस बीच ओडिशा सरकार के कानून विभाग ने कहा है कि गजपति महाराज दिव्य सिंह देव की अपील पर ओडिशा सरकार सुप्रीम कोर्ट में उचित कदम उठाएगी.

ओडिशा सरकार की ये प्रतिक्रिया तब आई है जब गजपति महाराज ने सरकार से अपील की है कि 18 जून के सुप्रीम कोर्ट के फैसले में संशोधन के लिए राज्य सरकार एक नई याचिका अदालत में दाखिल करे.

गजपति महाराजा दिव्य सिंह देव पुरी के महाराजा माने जाते हैं. गजपति महाराज को भगवान जगन्नाथ का प्रथम सेवक भी कहा जाता है, साथ ही प्रथम सेवक को पुरी का ठाकुर राजा भी कहते हैं. वह जगन्नाथ मंदिर समन्वय समिति के चेयरमैन भी हैं.

बता दें कि रथ यात्रा की इजाजत देने की मांग को लेकर सुप्रीम कोर्ट में कई याचिकाएं दायर की गई हैं. इन याचिकाओं में अदालत से प्रार्थना की गई है कि रथ को श्रद्धालु न खींच कर मंदिर के सेवाइत और पुलिस अधिकारी खीचें, ताकि भीड़ न हो सोशल डिस्टेंसिंग का पालन भी हो सके.

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